Wednesday, 14 September 2011

तेरी आँखों की किश्ती मे........

तेरी आँखों की किश्ती मे.............

नजर की बादबानी में नजारे डूब जाते हैं
तेरी आँखों की किश्ती मे किनारे डूब जाते हैं

समंदर बेखुदी का हमको भर लेता है बाहों मे
तेरी यादों के तिनके के सहारे, डूब जाते हैं

तजुर्बेकार लेकर लौट आते थाह दरिया की
जिन्हे पर डूबना आता, किनारे डूब जाते हैं

वो माहीगीर-ए-शब के जाल से तो बच निकलते हैं
पहुँच कर भोर के साहिल पे, तारे डूब जाते हैं

कई दरिया उबलते बारहा मेरी रगों मे भी
बदन है भूख का सहरा, बेचारे डूब जाते हैं

यूँ दौलत, हुस्न, शोहरत, सूरमापन नेमतें तो हैं
मगर मिट्टी की किश्ती संग, सारे डूब जाते हैं

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