तेरी आँखों की किश्ती मे.............
नजर की बादबानी में नजारे डूब जाते हैं
तेरी आँखों की किश्ती मे किनारे डूब जाते हैं
समंदर बेखुदी का हमको भर लेता है बाहों मे
तेरी यादों के तिनके के सहारे, डूब जाते हैं
तजुर्बेकार लेकर लौट आते थाह दरिया की
जिन्हे पर डूबना आता, किनारे डूब जाते हैं
वो माहीगीर-ए-शब के जाल से तो बच निकलते हैं
पहुँच कर भोर के साहिल पे, तारे डूब जाते हैं
कई दरिया उबलते बारहा मेरी रगों मे भी
बदन है भूख का सहरा, बेचारे डूब जाते हैं
यूँ दौलत, हुस्न, शोहरत, सूरमापन नेमतें तो हैं
मगर मिट्टी की किश्ती संग, सारे डूब जाते हैं
Welcome to the Siswa Bazar|Siswa Bazar (सिसवा बाजार in Devanagari) is a small Indian town towards the east of the province of Uttar Pradesh in northern India, near the border with Nepal. The name of the town came from the market of Shessham trees which came from the rivers in Nepal. Hence, its original name was "Shesshamwa ke bazar", but over the years, it became known as Siswa Bazar.Images and photos Siswa-Bazar si Sms Jokes | siswa bazar Romantic Sms Shayari
Wednesday, 14 September 2011
मैं खुद से बातें करता हूँ
मैं खुद से बातें करता हूँ
कितने दिन के बाद मिला हूँ
मैं खुद से बातें करता हूँ
तेरा हाल मुझे मालुम है
तू बतला, अब मैँ कैसा हूँ
मैं तन्हा घर से निकला था
रात ढले तन्हा लौटा हूँ
टूट गया आईना दिल का
अब घर में तन्हा रहता हूँ
फटी जेब है होश हमारा
सिक्का हूँ खुद खो जाता हूँ
कब्र बदन की और तन्हाई
मैं बच्चे सा सो जाता हूँ
ख्वाब़ हैं या बस दीवारें हैं
क्या शब भर देखा करता हूँ
बिना पते के ख़त जैसा मैं
क्यूँ दर-दर भटका करता हूँ
मेला-झूला-जादू, दुनिया
बच्चा हूँ मैं, खो जाता हूँ
दर्द है या दीवानापन है
हँसते-हँसते रो पड़ता हूँ
दिल के भीतर सर्द अँधेरा
मैं तुझको ढूँढा करता हुँ
भूल गया बाजार मे मुझको
मैं तेरे घर का रस्ता हूँ
कितने दिन के बाद मिला हूँ
मैं खुद से बातें करता हूँ
तेरा हाल मुझे मालुम है
तू बतला, अब मैँ कैसा हूँ
मैं तन्हा घर से निकला था
रात ढले तन्हा लौटा हूँ
टूट गया आईना दिल का
अब घर में तन्हा रहता हूँ
फटी जेब है होश हमारा
सिक्का हूँ खुद खो जाता हूँ
कब्र बदन की और तन्हाई
मैं बच्चे सा सो जाता हूँ
ख्वाब़ हैं या बस दीवारें हैं
क्या शब भर देखा करता हूँ
बिना पते के ख़त जैसा मैं
क्यूँ दर-दर भटका करता हूँ
मेला-झूला-जादू, दुनिया
बच्चा हूँ मैं, खो जाता हूँ
दर्द है या दीवानापन है
हँसते-हँसते रो पड़ता हूँ
दिल के भीतर सर्द अँधेरा
मैं तुझको ढूँढा करता हुँ
भूल गया बाजार मे मुझको
मैं तेरे घर का रस्ता हूँ
बहते पानी पे तेरा नाम लिखा करते हैं
बहते पानी पे तेरा नाम लिखा करते हैं
बहते पानी पे तेरा नाम लिखा करते हैं
लब-ए-खा़मोश का अंजाम लिखा करते हैं
कितना चुपचाप गुजरता है मौसम का सफ़र
तन्हा दिन और उदास शाम लिखा करते हैं
काश, इक बार तो वो ख़त की इबारत पढ़ते
अपनी आँखों मे सुबह-ओ-शाम लिखा करते हैं
लब-ए-बेताब की यह तिश्नगी मुक़द्दर है
अश्क बस बेबसी का जाम लिखा करते हैं
जमाने से सही, उनको पर खबर तो मिली
इश्क़ मे रुसबाई को ईनाम लिखा करते हैं
रात जलते हैं, सहर होती है बुझ जाते हैं
हम सितारों को दिल-ए-नाक़ाम लिखा करते हैं
कभी हम खुद से बिना बात रूठ जाते हैं
कभी खुद को ही ख़त गुमनाम लिखा करते हैं
लौट भी आओ, अब तन्हा नही रहा जाता
जिंदगी तुझको हम पैगाम लिखा करते हैं.
बहते पानी पे तेरा नाम लिखा करते हैं
लब-ए-खा़मोश का अंजाम लिखा करते हैं
कितना चुपचाप गुजरता है मौसम का सफ़र
तन्हा दिन और उदास शाम लिखा करते हैं
काश, इक बार तो वो ख़त की इबारत पढ़ते
अपनी आँखों मे सुबह-ओ-शाम लिखा करते हैं
लब-ए-बेताब की यह तिश्नगी मुक़द्दर है
अश्क बस बेबसी का जाम लिखा करते हैं
जमाने से सही, उनको पर खबर तो मिली
इश्क़ मे रुसबाई को ईनाम लिखा करते हैं
रात जलते हैं, सहर होती है बुझ जाते हैं
हम सितारों को दिल-ए-नाक़ाम लिखा करते हैं
कभी हम खुद से बिना बात रूठ जाते हैं
कभी खुद को ही ख़त गुमनाम लिखा करते हैं
लौट भी आओ, अब तन्हा नही रहा जाता
जिंदगी तुझको हम पैगाम लिखा करते हैं.
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